National Politics: देश के छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं. इन सभी सीटों पर वोटों की गिनती 8 सितंबर यानी शुक्रवार को की जाएगी. मंगलवार को जिन सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं, उनमें घोसी (उत्तर प्रदेश), बागेश्वर (उत्तराखंड), डुमरी (झारखंड), धूपगुड़ी (पश्चिम बंगाल), बॉक्सानगर व धनपुर (त्रिपुरा) और पुथुपल्ली (केरल) शामिल हैं.
इन सात सीटों में से तीन सीटें बीजेपी के पास थीं, जबकि कांग्रेस, सपा, माकपा और झामुमो के पास एक-एक सीटें थीं. घोसी में सपा के विधायक दारा सिंह चौहान ने विधायक पद से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी का दामन थामा था. इस उपचुनाव में उनका मुक़ाबला सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार सुधाकर सिंह से हो रहा है.
त्रिपुरा के धनपुर में बीजेपी की प्रतिमा भौमिक ने अपनी लोकसभा सीट बरक़रार रखने के लिए इस्तीफ़ा दिया था. बीजेपी ने प्रतिमा के भाई बिंदु देबनाथ को टिकट दिया है. उनका मुक़ाबला माकपा के कौशिक चंदा से हो रहा है.
वहीं शेष पांच सीटें जीतने वाले विधायकों की असामयिक मौत से खाली हुईं.
उत्तराखंड के बागेश्वर की सीट बीजेपी विधायक चंदन राम दास की मौत के बाद खाली हुई. बीजेपी ने उनकी पत्नी पार्वती को टिकट दिया, जो कांग्रेस और सपा के प्रत्याशी भगवती प्रसाद के सामने खड़ी हैं. झारखंड में डुमरी सीट सत्तारूढ़ झामुमो के विधायक जगरनाथ महतो के निधन के चलते खाली हुई. पार्टी ने यहां से उनकी पत्नी और जुलाई में मंत्री बनी बेबी देवी को उम्मीदवार बनाया है. एनडीए की ओर से आजसू की यशोदा देवी मैदान में हैं.
पश्चिम बंगाल की धूपगुड़ी सीट बीजेपी के बिष्णुपद रॉय के निधन के बाद खाली हुई. इस सीट पर बीजेपी ने तापसी रॉय को टिकट दिया है. टीएमसी से निर्मल चंद्र रॉय और सीपीएम से ईश्वर चंद्र रॉय चुनावी मैदान में हैं. त्रिपुरा की बॉक्सानगर सीट माकपा के शम्सुल हक़ की मौत के बाद खाली हुई. माकपा ने मिज़ान हुसैन और बीजेपी ने तफ़ज्जल हुसैन को उम्मीदवार बनाया है.
केरल की पुथुपल्ली सीट
National Politics: केरल की पुथुपल्ली सीट कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व सीएम ओमन चांडी के निधन के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस ने चांडी के बेटे ओमन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि सत्तारूढ़ माकपा ने जैक थॉमस को टिकट दिया है. विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ बनने के बाद देश में पहली बार विधानसभा स्तर का कोई चुनाव हो रहा है. ऐसे में लोगों की दिलचस्पी यह जानने में होगी कि देश के राजनीतिक समीकरण में क्या कोई बदलाव आया है या नहीं.