बिहार (Bihar Bpsc News) के बाल काटने वाला का लड़का बना अफसर. यदि आप का परिवार गरीब है और आप इसे कोसते रहते हैं तो औरंगाबाद के राहुल से सीखिए. उसने बीपीएससी क्रैक किया है. वो अति पिछड़ा कल्याण अधिकारी बना है राहुल के पास इंटरव्यू के लिए एक अच्छा कपड़ा तक नहीं था. उसने पैसे उधार लेकर कोट-पैंट सिलवाया.
आप की हाइट छोटी है या शारीरिक दुर्बलता है. लोग उस पर तंज कसते हैं. अगर यह सब सोचकर आप निराश हो जाते हैं, तो नवादा की श्वेता कौर से सीख लेनी चाहिए 4 फीट हाइट वाली श्वेता ने बीपीएससी 67वीं परीक्षा क्रैक की है. अब वो जिला ऑडिट ऑफिसर बन गई हैं.
बीपीएससी 67वीं टॉप करने वाले अमन आनंद से सीखिए
आप एक सफलता पर आकर रुक जाते हैं. सोचते हैं अब आराम करते हैं तो बीपीएससी 67वीं (Bihar Bpsc News) परीक्षा में टॉप करने वाले अमन आनंद से सीखिए. बीपीएससी की 66वीं परीक्षा में उनकी 52वीं रैंक थी. अफसर बने पर तैयारी करते रहे और अब 67वीं में टॉपर हैं.
शादी हो गई है अब पढ़कर क्या करेंगे
शादी हो गई है अब पढ़कर क्या करेंगे. अगर यह सोचकर बैठ जाते हैं तो शेखपुरा की ज्योति कुमारी से सीखिए. 12वीं पास होते ही 2013 में शादी हो गई थी. वह एक बच्चे की मां भी हैं. आगे की पढ़ाई ससुराल में की. इन्होंने 67वीं बीपीएससी परीक्षा क्रैक की है. आप कई बार असफल होते हैं. कोसते हैं कि मेरा भाग्य खराब है. डिप्रेशन में चले जाते हैं, तो पूर्णिया के अनिमेष से मिलिए. कई बार असफल होने के बाद अनिमेष डिप्रेशन के शिकार हो गए थे. अब अफसर बनेंगे.
राहुल ने यह साबित कर दिया है
अगर आप सोचते हैं कि छोटा काम करने वाले का बेटा बड़ा काम नहीं कर सकता है तो यह आपकी भूल हो सकती है. औरंगाबाद के राहुल ने यह साबित कर दिया है कि सफलता गरीबी अमीरी नहीं देखती है. औरंगाबाद के सदर प्रखंड कर्मा भगवान गांव के रविंद्र ठाकुर सैलून चलाकर बच्चों को ऑफिसर बनाने का सपना देखते थे. कोरोना काल में अपना सैलून भी बंद हो गया, जिसके बाद वह खुद बेरोजगार हो गए.
अब बच्चों को ऑफिसर बनाने का सपना टूटता दिख रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. दूसरे सैलून पर नौकरी कर सपने को साकार करने की कोशिश की. चौथे प्रयास में बीपीएससी 67वीं परीक्षा को क्रैक करने वाले राहुल बताते हैं कि उन्होंने काफी गरीबी में दिन काटे हैं.
सैलून से पैसा कमाकर पढ़ाया
पिता ने कभी खुद के तो कभी दूसरों के सैलून से पैसा कमाकर पढ़ाया है. कई बार असफल हुए तो गांव वालों के तानों से परिवार के साथ दिल्ली जाकर कमाने तक का प्लान किया. लेकिन बहन ने ट्यूशन पढ़ाया और राहुल को तैयारी का मौका दिया. पूरा परिवार और दोस्त हौसला बढ़ाते रहे. गरीबी में भी पिता ने पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. पैसों की तंगी के चलते बीपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग जाने की भी नहीं सोच सकता था. मैंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर बीपीएससी की तैयारी की.
इंटरव्यू में पहनकर जाने के लिए उनके पास कोट ही नहीं था
राहुल बताते हैं कि इंटरव्यू की डेट एक बड़ी चुनौती लेकर आई. इंटरव्यू में पहनकर जाने के लिए उनके पास कोट ही नहीं था, पैसा भी नहीं थे कि वह नया कोट बनवा सकें. ऐसे में उन्होंने गांव के ही मधुसूदन ठाकुर से कर्ज लिया और फिर अपने लिए कोट पैंट सिलवाया.
राहुल बताते हैं कि किसी के मां-बाप कितना भी छोटा काम क्यों न करते हों, खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए. हर समय ऐसा सपना देखना चाहिए और उसे पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए, जिससे घर परिवार वालों का त्याग सफल हो जाए.
इस्लाम की कहानी काफी संघर्षों भरी रही
बिहार लोक सेवा आयोग (Bihar Bpsc News) की परीक्षा क्रैक करने वाले इस्लाम की कहानी काफी संघर्षों भरी रही है. पिता मोहम्मद मुर्तजा गरीबी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाए. बच्चों की परवरिश के लिए सिलाई का काम किया. 5 बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ घर चलाना बड़ी चुनौती थी.
मुर्तजा ने बच्चों की पढ़ाई कभी ब्रेक नहीं होने दी. वे बताते हैं कि जहां तक हो सका बच्चों को सिलाई का काम करके पढ़ाया. बच्चे थोड़ा बड़े हुए तो खुद पिता का दर्द समझने लगे और ट्यूशन पढ़ाकर पढ़ाई के साथ अपनी तैयारी करने लगे.. उन्होंने कहा कि मैंने खुली आंखों से सपना देखा था. इस्लाम पर पूरा भरोसा था, वह मेरा सपना पूरा करेगा.
अगर इंसान दृढ़ संकल्पित हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी वह सफलता की सीढ़ी चढ़ता है. बिहार प्रशासनिक सेवा में 205वीं रैंक लाकर वैशाली के शिव शक्ति कुमार ने इसे साबित कर दिया है. शिव शक्ति की कहानी काफी दर्द भरी है, 3 साल की उम्र में पिता राम शंकर राय की मौत हो गई.