लोकसभा चुनाव से पहले इन दिनों बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में काफी हलचल मची हुई है. चुनावी रणनीतिकार और जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इस बात को लिखकर रख लीजिए, ऑन कैमरा बोल रहा हूं कि नीतीश कुमार की राजनीति का अंतिम दौर चल रहा है. कुछ महीने और लंगड़ाते हुए चल पाएंगे. उसके बाद लोकसभा चुनाव के साथ ही जदयू पार्टी के संपूर्ण विघटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ना दल बचेगा और ना ही कोई नेता बचेगा, कहानी खत्म हो जाएगी.
बस अपनी राजनीतिक रोटी सेंकनी है
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि नीतीश कुमार जब बीजेपी के साथ सत्ता में थे तो उनको समझ नहीं थी कि दरभंगा में एम्स होना चाहिए. बीजेपी के खिलाफ हुए तो उनको याद आ रहा है कि एम्स यहां होना चाहिए. उनको एम्स ना पहले बनाना था और ना ही अब बनाना है. बस उनको किसी ना किसी तरह से अपनी राजनीतिक (Bihar Politics) रोटी सेंकनी है. जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, तो भाजपा के ही कोटे से यहां स्वास्थ्य मंत्री थे, उस समय केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी, क्यों नहीं एम्स बनवाए. तब बीजेपी के नेता कहां थे, जो आज हल्ला मचा रहे हैं.
लोगों की परेशानी से कोई मतलब नहीं है
उन्होंने ने कहा कि नीतीश कुमार जनता को फिर टोपी पहनाना चाह रहे हैं कि हम तो बनाना चाह रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार नहीं कर रही है. सालभर पहले तक तो दोनों आदमी गलबहियां करके बैठे हुए थे. नीतीश कुमार कह रहे थे कि नरेंद्र मोदी देश के महा मानव हैं और अब आप कह रहे हैं कि मोदी से ही देश की बर्बादी होने वाली है. नीतीश कुमार को बिहार के लोगों की किसी परेशानी से मतलब नहीं है. सिर्फ एक ही मतलब जीवन में बचा है कि किसी तरह से कुर्सी पर बने रहें. जिसको जो लूटना है लूटो, बिहार को बर्बाद करना है करो और हम कुर्सी पर बैठे रहें और उलूल-जुलूल बयान देते रहें.