बिहार के सियासत (Bihar Politics) की हवा कब किस ओर अपना रुख बदल लें यह कहना काफी मुश्किल हैं. फिलहाल पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के बाद से उनके परिवार की आरजेडी से दूरियां बढ़ने लगी थी. लालू यादव के बेहद करीबी रहे मो. शहाबुद्दीन आरजेडी के संस्थापक सदस्य थे. लेकिन दूरियां इस कदर बढ़ गई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ा.
लेकिन एक बार फिर से दोनों परिवारों के बीच नजदीकियां बढ़ती दिख रही हैं. इसके बीच मुलाकातों का सिलसिला जारी है. पहले एमएलसी विनोद जायसवाल के आवास पर लालू यादव और तेजस्वी यादव ने हिना शहाब से मुलाकात की. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष के सरकारी आवास 5 देशरत्न मार्ग पर शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की.
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मुलाकात बाद सियासी सरगर्मी काफी तेज हो गई है. इस सीक्रेट मीटिंग के बाद चर्चा है कि शहाबुद्दीन का परिवार एक बार फिर मजबूती के साथ आरजेडी से जुड़ेगा. इस बार ओसामा शहाब को आरजेडी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इसके साथ ही 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी के जनसंवाद यात्रा में भी ओसामा शामिल होंगे. सूत्रों के मुताबिक ओसामा और तेजस्वी की इस सीक्रेट मीटिंग में सांसद संजय यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी भी थे.
हिना की ताकत का एहसास हो गया आरजेडी को?
2024 के लोकसभा चुनाव (Bihar Politics) में काफी मान मनौव्वल के बाद भी हिना शहाब ने आरजेडी का टिकट लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि जो लोग (लालू यादव का परिवार) मुसीबत में उनके साथ नहीं रहे हैं, उनके साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता. वे अपने दम पर निर्दलीय चुनाव लड़ी. हेना भले ही चुनाव हार गई लेकिन वे दूसरे स्थान पर रहीं. जबकि राजद के उम्मीदवार रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी तीसरे स्थान पर रहे.
एक-दूसरे की है जरुरत माई (MY) समीकरण
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव अपनी रणनीति (Bihar Politics) में कोई कमी नहीं चाहते. वे भलीभांति जानते हैं कि आरजेडी की नींव माई (मुस्लिम– यादव) समीकरण पर टिकी है. पिता लालू यादव के बनाए इस समीकरण में फूट हुई तो खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा. बिहार के मुस्लिम समाज में अभी भी शहाबुद्दीन के नाम की सहानुभूति है. उनके परिवार का आरजेडी से अलग होना RJD को नुकसान पहुंचा सकता है.
वहीं दूसरी तरफ हिना शहाब भी समझ चुकी हैं कि आरजेडी ही उनके लिए सही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में हेना शहाब ने शहाबुद्दीन के शुरुआती दिनों के समीकरण के आधार पर चुनाव लड़ा. उन्होंने सवर्ण और मुस्लिम वोटों को जोड़ कर जीत की रणनीति बनाई. शानदार तरीके से चुनाव लड़ने के बाद भी हेना शहाब जीत नहीं सकीं. दरअसल उनके पास पार्टी का कैडर वोट नहीं होना सबसे बड़ी कमी रह गई.
लालू के परिवार से क्यों नाराज हुआ शहाबुद्दीन का कुनबा?
कोरोना काल में तिहाड़ जेल में बंद शहाबुद्दीन की तबीयत खराब हो गई थी. जहां 1 मई 2021 को उनका निधन हो गया. शहाबुद्दीन के निधन के बाद परिवार अंतिम संस्कार सिवान में करना चाहता था, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद आईटीओ के पास वाले कब्रिस्तान में शहाबुद्दीन को दफनाया गया.
लेकिन इस पूरे मामले में लालू यादव के परिवार का कोई व्यक्ति सामने नहीं आया. जबकि उस समय लालू यादव और उनके बेटे दिल्ली में ही थे. हालांकि बाद में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव सिवान पहुंचे और शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर जा कर परिजनों से मुलाकात की. लेकिन शहाबुद्दीन के समर्थक लालू यादव और तेजस्वी के नहीं आने से खफा थे.
तेजस्वी ओसामा के निकाह में हुए थे शामिल
शहाबुद्दीन के निधन के करीब दो महीने बाद उनकी पत्नी हिना शहाब की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब उन्हे देखने तेजस्वी यादव भी पहुंचे थे. इसके बाद 11 अक्टूबर 2021 को वे ओसामा शहाब के निकाह में भी शामिल हुए थे. लेकिन इन सबके बावजूद भी दोनों परिवारों की दूरियां बढ़ती चली गई थीं. अब देखना यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद इस MY समीकरण को कितना फीट कर पाते हैं.