Friday, November 22, 2024
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Bihar Politics: नीतीश ने कहा चले जाइये तो उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा ऐसे कैसे चले जाये: जानिए क्यों तेवर में है कुशवाहा

Bihar Politics: पटना, सुर्खियों में रहने वाले उपेंद्र कुशवाहा भले जदयू से एमएलसी हो या फिर जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो लेकिन, उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी आज भी सक्रिय है. उपेंद्र कुशवाहा भले जदयू के कार्यालय में जाकर अपने चेंबर में बैठकर जदयू कार्यकर्ताओं की बात सुनते हो लेकिन कागज पर उनकी पार्टी अभी भी सक्रिय हैं और उनका चुनाव चिन्ह सीलिंग फैन अभी आवंटित है.

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने 2021 के मार्च महीने में अपनी पार्टी आरएलएसपी के जदयू के साथ विलय की घोषणा कर दी थी. पार्टी के सभी नेता जदयू में आकर मिल गए थे, लेकिन आज भी उनकी पार्टी पूरी तरह से सक्रिय है और चुनाव चिन्ह आज भी आवंटित है.

आपको बता दें कि इन दिनों जब से

आपको बता दें कि इन दिनों जब से जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने कि बात सार्वजनिक कि है तब से जेडीयू में विलय करने वाली रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा काफी टेंसन में हैं. उनका कहना हैं कि पार्टी विलय कर बलिदान हमने दिया है तो कोई भी फैसला अकेले नीतीश कुमार कैसे लें सकते हैं.

उपेन्द्र कुशवाहा जब पार्टी विलय किये थे तब उनका एक बयान था कि जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाना हैं. मगर इन दिनों हालत बिलकुल बिपरीत दिख रहे है. बीते दिनों से पार्टी के अंदर काफी तल्खिया देखि जा रही है. दोनों नेता एक दुसरे के पर बयान बजी करते दिख रहे है. नीतीश कुमार ने तो अब यहाँ तक कह दिया है कि जिसको जहाँ जाना है जल्दी चले जाये, उन्हें किसने रोका है, हालाँकि उनका ये संदर्भ सीधे तौर पर उपेन्द्र कुशवाहा के तरफ ही है.

Bihar Politics: आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2021 के मार्च में आनन-फानन में उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. 1 महीने के बाद उन्हें विधान परिषद का सदस्य भी बना दिया गया. माना गया कि पूरी तरह से उपेंद्र कुशवाहा जदयू के पदाधिकारी भी हो गए और जदयू कोटे से बिहार विधान परिषद के सदस्य भी हो गए, लेकिन इस बीच उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी आरएलएसपी को मरने ही नहीं दिया. आरएलएसपी को वे समय-समय पर ऑक्सीजन देते रहे.

क्षेत्रीय दलों की सूची में रालोसपा का नाम मौजद है

आपको बता दें कि चुनाव आयोग की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय दल और राज्यस्तरीय क्षेत्रीय दल की सूची होती है. उसमें 2021 के सितंबर महीने में क्षेत्रीय दलों की सूची में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का नाम है और चुनाव आयोग की तरफ से दिए गए चुनाव चिन्ह सीलिंग फैन भी है.

हालांकि इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा जदयू के लिए लगातार काम करते रहे, लेकिन 2022 के अगस्त महीने में आरएलएसपी का इनकम टैक्स भी भरा गया. जाहिर सी बात है भले पूरी पार्टी के लोगों को लेकर उपेंद्र कुशवाहा जदयू में चले आए लेकिन उनके आरएलएसपी वाली दुकान शटर बंद होने के बावजूद चलती रही.

दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार

इस पूरे मामले में नाम नहीं छापने के अनुरोध पर आरएलएसपी के पूर्व नेता ने बताया कि जब विलय की घोषणा हुई थी तो चुनाव आयोग के तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के पास चिट्ठी आई थी, जिसका जवाब उपेंद्र कुशवाहा ने नहीं दिया था. इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने इनकम टैक्स को आरएलएसपी की तरफ से लड़े गए लोकसभा 2014, बिहार विधानसभा 2015, फिर लोकसभा 2019 और बिहार विधानसभा 2020 में हुए चुनाव का रिटर्न भी फाइल किया.

Bihar Politics: यानी इस दौरान पार्टी ने क्या चंदा लिया और क्या खर्चे किए इसका भी ब्योरा दिया. जाहिर सी बात  है जेडीयू में अपने आप को खालीपन मह्सूस कर रहे उपेन्द्र कुशवाहा अभी मैदान से आउट नहीं हुवे है. अब आगे देखना यह है कि जेडीयू दो भाग में बटती है या रालोसपा फिर से मैदान में उतरती हैं.

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